बुधवार, 11 जून 2014

बलात्कार “कारण सिर्फ 3,निवारण 6”

बलात्कार  “कारण सिर्फ 3,निवारण 6”
अगर हम पूरे देश का हाल देखें तो लगता है महिला सुरक्षा की हालत बहुत ही खस्ता है हर राज्या मे बलात्कार की घटनायें बदती जा रही है और उत्तर प्रदेश मध्या प्रदेश मे तो हद ही हो गई है , अभी कुछ समय पहले जब निर्भया काण्ड हुआ था तब लोग कह रहे थे की हमारे देश मे रेप के लिए कानून कमजोर है पर कानून कठोर होने के बाद भी रेप की घटनाओं मे कोई कमी नही आई है आखिर क्यू ,क्या करण है की कठोर कानून के बाद भी रेप रेट मे कमी नही पर हम सिर्फ सरकार को कोशते है पुलिस को कोसते है और छोड़ देते है किओंकी हम लोग महिलाओं की सुरक्षा करना ही नही चाहते है और इसी लिए मैने उस समय एक ब्लॉग लिखा था की कोई भी सज़ा बलात्कार नही रोक सकती है इसका मत लब एह बिल्कुल नही है की सरकार में इसे रोकने की इच्छा सकती नही सच बात तो एह है की रेप की घटनायें एक राज़ होती हैं और हम लोग कभी उन राज़ों पर बात नही करते हैं की रेप वास्तव में किन कारणो से होते हैं अरे बाही जब तक रेप के करणो का टीक 2 पता नही चलेगा तब तक कैसे इस अपराध पर रोक लग सकती है , आज हमने अपने इस ब्लॉग में उन कारणों और निवारणो के उपाय के बारे में लिखा है पाठक गणों से अनुरोध है की इन पर गहनता से विचार करें फिर अपनी प्रतिकिर्यैं दें और इस अक्षम्य पाप को हाटाने के लिए लोगों को जागरूक करें.

बलात्कार के ठोस कारण:
कारण 1- हमारे देश में लड़का और लड़की के अनुपात मे काफी अंतर है उपर से घोर जातीबाद उसके भी उपर अंतरजातीय विवाह पर सामाजिक रूप से रोक जिसके कारण हर जाति में कुछ ना कुछ लोग शादी से बंचित रह जाते एह हो सकता है किसी जाती मे कम तो किसी मे ज़ादा लोग सादी से वंचित रह जाते है मेरे कहने का मतलव है की समाज मे बहुत बड़ी  सांख्या खास कर लड़कों की ऐसी है जो सेक्स से वंचित रह जाती है परंतु सेक्स से वंचित रहना कोई अपराध नही होता है परंतु कुछ लोग होते हैं जो सेक्स से वंचित होकर कुंठित होकर अतिक्रमण कारी बन जाते है जो कभी कभी बहुत घातक रूप ले लेते हैं इस प्रकार के लोग सिंगल रहकर या फिर गैंग बना कर भी रेप करते है एह नही देखते हैं की कोई लड़की बच्ची है, नाबालिग है,महिला है, व्रध है, देश की है या पर देश की है , दूर की है या करीबी की उनके दिमाग पर सिर्फ सेक्स का भूत  होता है और बो किसी भी हद तक हैवानियत कर सकते हैं .
कारण 2- आज देश मे महिला सुरक्षा से समन्धित कानून काफी सख्त हैं और होने भी चाहिए अगर लड़के पाप करते हैं तो उनेह सज़ा ज़रूर मिलनी चाहिए परंतु दूसरे पक्ष पर भी सोचना होगा इस देश मे सेक्स  सम्बंधों  मे जनित अपराध में लड़किओं को न्याय तो मिल जाता है परंतु क्या कभी सोचा है की किसी पीड़ित लड़के को  न्याय मिल पाता है ( अगर एक लड़का और लड़की एक दूसरे से प्रेम करते हों और अगर लड़का लड़की को धोखा दे तो लड़की को न्याय मिल जाता है परंतु अगर लड़की लड़के को धोखा दे दे तो लड़का लाचार होता है इंसाफ के लिए समाज की जकडन और कानून के अभाव में वो चाह कर भी कुछ नही कर सकता है ) सच तो एह है की जब कोई सच्चा प्रेम करता है वो धोखा पाने पर पूर्ण रूप से हतास हो जाता है और उसके दिमाग पर से कण्ट्रोल हट जाता है इसके बाद 3 कंडीसन आती है , जो दिमाग पर कण्ट्रोल कर लेता है वो महान बन जाता है, जो दिमाग के बस मे होजाता है वो सैतान बन जाता है और जो कुछ नही करपाता है वो वेजान हो जाता है .इसमें जो बीच बाले  लोग होते हैं वो सोचते है की कानून से कुछ होगा नही और समाज कुछ करने नही देगा फिर वो सोचते हैं की अब अपनी जिंदगी तो बरवाद है ही तो बदला लेने के लिए कुछ भी कर जाते है जैसे बलात्कार, तेजाव डालना, आग से जलाना,या फिर किसी प्रकार मर्डर कर देना .
कारण 3- समाज मे कुछ परिवार ऐसे भी होते हैं जो अपने बच्चों को सू संस्कार  नही दे पाते है और छूट भी हद से ज़ादा मिल जाती है जिसके करण वो गलत संगत में पड कर  भटक जाते है और गलत रास्तों पर चल पड़ते हैं और अपराध कर बैठते हैं .

अपवाद : कुछ लोग ऐसे भी है जो अपनी सगी लड़की या बहन , भतीजी के साथ भी दुसकर्म कर वैठे है ऐसे लोग सिर्फ और सिर्फ मानसिक रूप से विक्षिप्त होते हैं इने तो तुरंत मार दिया जाना चाहिय .
अब बात करते निवारन की
उपाय 1 : सिक्षा : पुर देश मे नैतिक सिक्षा और लड़किओं के लिए आत्म  रक्षा  अनिवार्य करना होगा .
नैतिक सिक्षा नुर्सरी से लेकर हर प्रकार की उच्च सिक्षा मे अनिवारया हो इतना ही नही  12त पास के बाद नैतिक सिक्षा का एक अनिवारया पेपर प्रयोगात्मक भी होना चाहिए इसके लिए 10 दिन तक का नैतिक सिक्षा का प्रयोगात्मक काम करना चाहिए जैसे बुजारगों की सेवा , दीन दुखिओं की मदत करना ,गारीओं की सेवा आदि आदि के रूप मे प्रयोगात्मक परीक्षा हो साथ में इसकी निगटिव मार्किंग के लिए भी बिकल्प होना चाहिए अगर कोई झूंती सेवा दिखाये तो उसको निगेटिव मार्क्स मिलने चाहिए इससे समाज मे हर वर्ग में आपसी प्रेम पनपेगा.
उपाय 2 : प्रेम मे धोखा धड़ी को एक अपराध  मान कर पीड़ित को न्याय पाने के लिए एक कानून हो भले ही उसमे सज़ा का कम प्रावधान हो परंतु दंड होना ज़रूर चाहिए वास्तव मे हम लोग भावनात्मक धोखे को नज़र अंदाज़ करते है जबकि भाबनातमक धोका बहुत ही घातक रूप धारण कर लेता है कोई भी पीड़ित चाहे वो लड़का हो या लड़की कानून के अभाव मे अपने को ठगा से आ हताशा और लचर महसूस करके कोई अपराध ना कर बैठे .

उपाय 3-जातीय  दबंगईऔर राजनीति पर लगाम लगे उधारण ता ज़ादा से ज़ादा अपराध दावंगों के कारण ही करवाये जाते है अब बात आती है की दबंग पैदा कैसे होते हैं
( में किसी जाती बिसेष की बात नही कर रहा हून हर जाती मे कुछ ना कुछ दबंग  प्रविरति के लोग होते है एह हो सकता है किसी मे कम या किसी मे जाड़ा एह लोग सिर्फ डर से शांत रह  सकते हैं और रहते भी हैं परंतु हमारे देश मे इन दबँगो  को जाड़ा सक्रिय करने के लिए कुछ उत्प्रेरक ज़िम्मे दार होते हैं )
(I)           सामाजिक उत्प्रेरक  वर्ग विशेष का बाहुल्य : किसी एक छेत्र मे किसी एक बिशेष वर्ग के लोगों की सांख्या जाड़ा है तो उस वर्ग के दबंग प्रवर्ती के लोगों की सक्रियता बड सकती है
(II)          जातीय स्टीकर उत्प्रेरक : अगर किसी थाने मे 100 मे से 40 अगर एक ही जात या वर्ग से सम्बंध रखते हों तो उनका प्रवहाव समाज के लोगों पर ज़रूर पड़ता जैसे अगर सभी अधिकारिओं के ऐसे स्टीकर लगे हो जिनपर उनकी जात दिखती हो तो ज़ाहिर सी बात है की दबंग प्रवर्ती के लोग जो उसी जात के हों उनसे सबंध बनाने लगते है और धीरे सरकारी कारियों मे उनकी दखल बड जाती है और वो खुल कर अपराध करने से भी नही चूकते हैं
(III)         सरकारी संरक्षण रूपी उत्प्रेरक :
(IV)        पुलिस की चेत्रीय जॉब भी धनात्मक उत्प्रेरक होती है
समाधान

(I)           इस प्रकार के छेत्रों मे कुछ सही लोगों को जो उसी वर्ग के हों उनको तागतवर करने से दबँगों की सक्रियता पर लगाम लग सकती है जैसे की निगेटीवए सोच के चीना की तगत को बॅलेन्स करने के लिए इंडिया को तगत देना अमेरिका जैसे देश की मजबूरी भी होगी और समझ दारी भी
(II)          पुलिस ही क्या सरकार के हर विभाग के हर कर्मचारी के घर के गेट, ऑफीस के गेट, टेबल , और वर्दी पर नाम के साथ जाती सूचक शब्द लगाने पर पूर्ण रोक होनी चाहिए भले ही जातीय आधार पर निउक्ती हुई हो पर जब अधिकारी बन गये तो फिर जाती दिखाने का मतलब ही क्या है अगर सरकार ऐसा कर रही है तो अल्गाब को बडावा दे रही है काम करते समय सब समान होते है फिर जाती प्रदर्शन किओन होता है क्या कर रही है सरकार .
(III)         सरकार अपराधों मे होने बाली कड़ी कार्यबाही मे दखल ना करे और दवंगों को या पुलिस  आदिकारिओं को अनैतिक संरक्षण ना द.
(IV)        छेत्रिय पुलिस की जॉब पर रोक लगे .
उपाय 4  :  महिला सुरक्षा को ससक्त करने हेतु दहेज प्रथा , धर्मो के आधार पर दोहरे कानूनो की प्रथा ,भूर्ण हत्या को पूर्ण रूप से रोकने हेतु कोई कठोर कानून और योजना बने इतना ही नही अंतरजातिए विवाह करने वालों को सरकारी योजनाओं मे सुबिधा का प्राबधान् करना चाहिए और छूट देना चाहिए .
उपाय 5-(आ) महिलाओं हेतु ऑनलाइन रिपोर्टिंग की सुभिधा : आज हम लोग सुनते है की महिलाओं से सम्बंधित अपराधों में पुलिस रिपोर्ट लिखने मे देर करती है तो इसका बड़ा ही सीधा और सरल उपाय है की महिला सम्बंदी केशों की रिपोर्ट लिखने का अधिकार पुलिस से हटा लेना चाहिए , एक ऑनलाइन सिस्टम विकसित किया जाये जिसमे फ्री मे ऑनलाइन रिपोर्टिंग सुबिधा हो कोई भी पीड़ित अपनी सुबिधा अनुसार ऑनलाइन अपने नज़दीकी थाने मे उचित धारा मे रिपोर्ट कर सके रिपोर्टिंग की हेल्प के लिए भी आसान तरीके बनाये जायें , थाना , सहर, ज़िला, प्रदेश  सेलेक्ट करने के साथ रिपोर्ट किस धारा मे लिखी जाये उसकी सुबिधा , सकक्षायों को उपलोड करने और गुप्त रखने का प्रबधान् हो साथ ही एह साइट बहुत सिक़ुअर हो ताकि पीड़ित की पहचान उज़ागर ना हो सके . महिला अपराध की सब धारायें एक पेज मे हेल्प के रूप मे होनी चाहिए साथ मे संदेस और फोनिंग के दुअरा रिपोर्टिंग हेल्प की सुबिधा होनी चाहिए . और जैसे ही रिपोर्ट आक्सेप्ट हो तुरंत सिस्टम उसकी एक सॉफ्ट कॉपी  मेन हेड ऑफीस   , सम्बंधित पुलिस स्टेशन , और एक सहायक मैल जो पीड़ित डाले उस पर पहुचना चाहिए . जैसे ही पुलिस स्टेशन पर मेल प्राप्त हो उसके 1 घंटे के अंदर कारबाहि करने के आदेश स्वता केन्द्र की तरफ से हों  छान बीन के बाद हेड क्वॅटर के पास धारा को चेंज करने का प्रबधान् हो थानो को नही .
नोट: गलत रिपोर्टिंग करने बाली महिलाओं  के खिलाफ भी कारबाहि करने की सुबिधा भी होनी चाहिए मतलब गलत रिपोर्टिंग पर स्वता 420 का केश लगने  की योजना होनी चाहिए .
(ब) अगर कोई महिला किसी छेत्र में अकेली या दुकेली फस जाती है और कंही अनहोनी की असंका प्रबल हो तो सहायता के लिए 100 नुम्बर की तर्ज़ पर पुर देश मे महिला हेल्प लाइन नंबर हो जिसपर फ्री कलिंग और स्मस करने की सुबिधा हो अगर कोई महिला इस प्रकार का मसेज करती है तो उस मसेज की एक कॉपी हेड ऑफीस, एक निकटतम स्टेशन और एक उसी नंबर पर जिससे वो स्मस करती है और इस संदेश पर तुरत कार्यबाही करने का आदेश हो ,
उपाय 6: एन एस जी  कमांडो की तरह महिला महिला एन एस जी  कमांडो होने चइए जो हर छेत्र मे पर्याप्त मात्रा में और जो महिलाओं से सम्बन्दित जघन्य अपराध होते हैं उनमें उनका सीधे दखल होना चाहिए
नोट: जब तक 100% अपराधों में 100% सज़ा समय रहते नही मिलती है तब तक अपराध नही रुकेंगे ,सिर्फ टी बी पर बैठ कर रोने से या सरकार को कोशने से कुछ नही होने बाला है इस प्रकार के बदलाव करने ही होंगे .

पाठकों से अनुरोध है की हमारे लेख पर गहन विचार करके अपना कमेन्ट दें .

कोई भी सज़ा "बलात्कार" नही रोक सकती है !

मंगलवार, 10 जून 2014

उ.प की सभी लड़किओं का बलात्कार होने पर भी रास्ट्रपति शासन् नही : केन्द का सच

लोक सभा के चुनाव के बाद और भाजपा की जीत के बाद ,लगता था की उत्तर प्रदेश के हालात मे कुछ सुधार होगा किओंकी खुद भाजपा का नारा था अच्छे दिन आने बाले हैं पर हुआ इसके उल्टा ही जनता के अच्छे दी तो नही आये पर सपा के गुंडों के अच्छे दिन अबश्य आ गये है दो दिन मे 100 से ज़ादा बलात्कार होते हैं हत्या और अफरन की तो गिनती ही नही है नेताओं को खुले आम मारा जा रहा है विपक्ष रास्ट्रपति शासन की मांग कर रहा है और जनता भी एही चाहती है परंतु भाजपा का शीर्ष नेत्रत्व एह नही चाहता है इसके पीछे उनका राजनीतिक करण है की बिधान सभा चुनाव तक जितने ज़ादा हत्या, बलात्कार होंगे माहौल उतना ही भाजपा के पक्ष मे होगा और उसका सीधा लाभ चुनाव में मिलेगा , भाजपा सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए लड़किओं के बलात्कार पर गंभीर नही है उनके लिए बलात्कार की घटनायें जितनी जादा होंगी उतना ही फायदा होगा इसी लिए भाजपा कुछ नही कर रही है और तर्क दे रही है हम गलत तरह से सरकार नही गिरायेंगे आप क्यू गिराओगे जब आपको राजनीतिक फायदा हो रहा है जनता का दर्द इनेह नही दिखता है एह लोग इतने गिर गये है की शायद उत्तर प्रदेश की .......... लड़किओं का बलात्कार हो जायेगा तब भी एह सरकार नही गिरायेंगे , अरे जनता की भलाई के लिए कोई भी रास्ता गलत नही होता है क्या ऐसा है मोदी जी का न्याय , क्या ऐसे हैं कड़क है हमारे नये प्रधान मंत्री जी , अगर ऐसा है तो मुझे कोई अफसोश नही है की एह तो मन मोहन जी से बेकार हैं कम से कम अब तक एक चेतावनी तो दी होती अखिलेश सरकार को , में भाजपा सरकार से मांग करता हूँ बिना किसी देरी के तत्काल प्रभाव से राष्ट्रपति शासन लगाया जाये वर्ना जनता आपके जाल को समझ जायेगी और परिणाम घातक हो सकते है.

देश एक गंभीर कार्यक्षेत्र है और...

मोदी में इतना दम नही, जो देश बचा सकें!

शनिवार, 26 अप्रैल 2014

मनुवादी दलाल मीडिया बाले महा नीच है दलितों लड़किओं के बलात्कार नही दिखता !

मनुवादी दलाल मीडिया बाले महा नीच है दलितों लड़किओं के बलात्कार नही दिखता !


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{अगर पीड़ित बच्चियों के जंतरमंतर पर बैठेने के बाद भी दिल्ली को गुस्सा नहीं आता तो साफ़ है कि दिल्ली का गुस्सा , पीड़ा से नहीं 'पक्ष' से प्रेरित होता है .}
Dinesh Dadsena की दीवार से --"दलित लडकियो के बलात्कार के लिए प्रसिध हो चुके प्रदेश 'हरियाणा' के भगाना गाँव में दलित परिवारों का सामूहिक बहिष्कार किया गया था, काफी दलित लोगो ने पलायन किया इस गाँव से जो परिवार बच गए उन पर दवाब डाला गाया लेकिन जब उन्होंने इंकार कर दिया तो पंचायत के सदस्य के लडको ने २३ मार्च को एक दलित लड़की का उसके घर से बाहर 'नशीला पदार्थ' सूंघकर अपहरण करने की कोशिस की तभी उसको बचाने के लिए तीन और लड़की आती है तो उन्हें भी जबरदस्ती यह पदार्थ सुंघाकर अपहरण कर लिया जाता है और आगे किसी जगह ले जाकर बलात्कार किया जाता है.
पांच लोगो के गिरफ्तार किए जाने के बाद भी अन्य आरोपी के खुलेआम घुमने के कारण इन चारो लडकियो ने नई दिल्ली के 'जन्तर मन्तर' पर दो दिन से धरना पर्दशन कर रही है लेकिन अजीब ही है की;
१.सबसे पहले तो पुरे देश के लिए यह सबसे बड़ी शर्म वाली यह बात होनी चाहिए की चार लडकिया जिनका 'बलात्कार होता है उन्हें इस प्रकार से 'आन्दोलन' करना पड़ रहा है, सिर्फ दलित होने की वजह से देश की जनता इससे मुंह नही फेर सकती है. किसी भी वर्ग चाहे दलित, पिछड़े, सामान्य वर्ग की महिला हो उन्हें जाति के आधार पर नही देखा जाना चाहिए, 'महिला' के आधार पर देखा जाना चाहिए. अगर देश की जनता ऐसा नही करती है तो फिर इस देश में एक नही कई अलग-अलग सोच के 'भारत' है.
२.दो दिन हो गए सभी न्यूज चेन्नल देखते हुए, अखबार पढ़ते हुए लेकिन किसी पर भी इसकी जानकारी नही दी गयी है, फेसबुक के माध्यम से ही इसकी जानकारी मिल पा रही है.
३.नई दिल्ली में पिछले वर्ष एक लड़की के बलात्कार होने पर देश में भूचाल आ जाता है लेकिन उसी माह हरियाणा में १७ दलित लडकियो का बलात्कार होता है उस पर कोई भूचाल नही आता है और इन चार लडकियो का बलात्कार कर दिया जाता है अब भी भूचाल नही आ रहा है.
और सबसे बड़ा सवाल इन वर्ग के लिए आर्क्छित सीट से निर्वाचित होकर आये 124 सांसद के मुंह बंद क्यों है.
  • Ranjeet Singh Jatav ravish ji kam se kam aapka camera to waha tak pahunch raha hai...thanks.
    Like · Reply · 2 · 13 hours ago · Edited
  • Hetal Mehta I am ashamed of my self....m so sorry sis.....
    Like · Reply · 1 · 2 hrs
  • Aman Bhardwaj All of us should support these brave girls in this fight to get justice!
    Like · Reply · 1 hr · Edited
  • Akhilesh Tiwari Ravish kumar fans (NDTV) सर, ये सत्य है की आज़ादी के दशकों बाद भी हमारे देश में दो भारत बसता है एक अमीरों पूंजीपतियों और समृद्ध लोगो का भारत दूसरा गरीब ,असहाय और कमज़ोर लोगो का भारत ! आज़ादी के बाद से लेकर अब तक किसी की भी सरकार रही हो किसी ने भी इन लोगो के ज़मीनी विकास के लिए कुछ नहीं किया..
    हाँ समय समय पर जाती और मज़हब के नाम पर बाँटने का काम ज़रूर किया
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  • Manoj Kumar बिलकुल..!See Translation
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  • Manish Chauhan aur karo congress ki parokari.
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  • Rakesh Jadly पूर्ण सत्य .....मोमबत्तियां भी तभी जलती हैं जब कष्ट अपने से बड़ी मोमबत्ती को होता है ....टूटी फूटी लालटेनों और दीयों को तो खुद ही संघर्स करना पड़ता हैSee Translation
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  • Sharad Rawat Kya aap logo ko kabhi MODI KI ASLIYAT JANTA KE SAMNE LANE ME SHARM AAI?
  • Manoj Singh MK buddhi jeeviyon ko abhi bhi delhi police ki zimmedari lagti hai..... mujhe lagta hai Damini case me thoda hi laathicharge karne ki muzrim hai Delhi police.... They should have been thrashed that time ..... Qki unka intention ganda thha....varna aaj bhi aisa ho raha hota....
  • Madhukar Singh dub maro delhi police
  • Narendra Singh Panwar योगेन्द्र यादव और केजरीवाल सहित पूरी आम आदमी पार्टी इन खांप पंचायतो का समर्थन कति है। शेम ओन कजरी & गैंगSee Translation
    Like · Reply · 7 hrs

मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

मायावती जी का विना " अजेंडा के डंडा "

मायावती जी का विना " अजेंडा के डंडा "

आज कल जब भी मायावती का भाषण सुनो तो 2 बातों पर ही फोकस होता की में दलित की वेटी हूँ और दलित मुझे ही पी एम बनायेगे , और मुसलमानो की सुरक्षा सिर्फ बसपा मे ही है हम कहते हैं की बहेन जी मुस्लिम को आप डर दिखाती हो ठीक है अगर मुस्लिमों को बसपा मे सुरक्षा दिखती है तो वो वोट कर सकते हैं और करना भी चाहिए पर दलित आपको वोट क्यू करे क्या सिर्फ इसलिए की आप दलित की वेटी हो तो इस बात पर तो वोट माँगना और देना सरासर गलत है अगर आप इस बात पर वोट माँगोगी तो सायद कभी पी एम नही बन सकती हो .अगर बन जाओ तो आपकी किस्मत , बहेन जी आज जादातर दलों के पास एक ठोस मुद्दा है

1-भाजपा के पास "विकास का मुद्दा" मंदिर का मुद्दा ,आतंकवाद से निपटने का मुद्दा  है
2- कांग्रेश के पास सत्ता विकेन्द्रीकरण , मुस्लिम तुस्टीकरण और देश को भ्रस्टाचार मे डालने का मुद्दा है

3- सपा के पास बलात्कारी सुरक्षा योजना और मुस्लिम तुस्टीकरण  का मुद्दा है

4-आप के पास परिवर्तन पर परिवर्तन करने का मुद्दा है

5- बसपा के पास कौन सा मुद्दा है की दलित की वेटी को पी एम बनाना वास्तव मे जो कोई मुद्दा है ही नही .

बहेन जी एक भाजपा के मुद्दे के अलावा नही लगता की किसी का भी मुद्दा देश हिट मे हो

आपका काम सिर्फ पी बनना नही होना चाहिए बल्कि अम्बेडकर जी के अधूरे काम को मिटाना भी होना चाहिए , जिसमे समानता, भेद भाव,उँच-नीच को मिटाना, जातिवाद को समाप्त करवाना पर सायद आप एक भी मुद्दे पर नही हो आपको सिर्फ पी एम की कुर्षी दिख रही , आज आप सबसे उदासीन नेता बन कर रह गई हो
आपके (बसपा )के पास को अजेंडा नही है फिर भी दलितों पर डंडा की दलितों को सिर्फ माया को वोट करना चाहिए


बहेन जी अब आपका विना अजेंडा का डंडा नही चलेगा .पहले अपना अज़ेंडा वताओ फिर वोट मांगो.

आज़ादी के 65 साल बाद भी दलित कर्ण के सिद्धांत पर चलने को मजबूर क्यू ? मायावती जबाब दें !


आज़ादी के 65 साल बाद भी दलित कर्ण के सिद्धांत पर चलने को मजबूर क्यू ? मायावती जबाब दें !


सुनते है की मोदी जी कहते हैं की बाबा साहव अम्बेडकर जी को भारतरतन भाजपा ने दिलबाया तुरंत मायावती का बयान आया की भारत रतन के लिए हमने तत्कालीन सरकार पर दवाव डाला और आडवाणी इससे नाराज़ थे और तत्काल सरकार से समर्थन बापस ले लिए थे .

1-आडवाणी का चरित्र अगर ऐसा नही होता तो सायद उनकी इस प्रकार दुरदसा नही होती जो आज हो रही है उनको उनके गलत कर्मो की ही सज़ा मिल रही है .

2-मायावती जी को अब तक जो सिकायत रहती थी की अम्बेडकर की बात कोई पार्टी नही करती या कोई उनके बारे मे बोलता नही है तो जब एक आदमी खुलकर उनकी बात कर रहा है तो आपको तकलीफ क्यू हो रही है?

3-बहन जी क्या अम्बेडकर नाम का आपके पास पेटेंट है की वो सिर्फ आपके ही महापुरुष हैं बाबा साहव इस देश के हर नागरिक के नेता और भगबान हैं उन्होने दलितों और स्वर्णो दोनो के लिए अधिकार और कानून बनाये है इसलिए हर आदमी का उन पर हक है और हर आदमी को उनकी बात और सम्मान की बात करनी भी चाहिए .

4-जंहा तक मेरी समझ है , दलित हितों के जो अधिकार बाबा साहिब ने दिए उन पर कांग्रेश ने काम किया ही नही ,पर बसपा ने उनके नियमो का इम्प्लीमेंट करबाया ज़रूर है परंतु एह भी सत्या है की अम्बेडकर का काम अभी पूरा नही हुआ है उनका अंतिम लक्ष्या था की देश मे एकता और समानता स्थापित करने के लिए जातिवाद को पूर्ण रूप से समाप्त करवाना , ताकि आने बाले समय मे कभी किसी दलित या मजबूर को "महान कर्ण के सिधांत" पर ना चलना पड़े जिस पर खुद बाबा सहव को भी चलना पड़ा था (

अम्बेडकर 'दलितों-स्वर्णों' को एक करना चाहते थे

, चूंकि उस समय अनूकूल नही था इस कारण उन्होने कहा था की सिक्षित बनो, संगठित  बनो, फिर संघर्ष करो,

5-पर बहन जी आपने तो बाबा साहव के नाम पर सिर्फ राज़ नीति की है कभी सोचा है की आज 65 साल बाद भी हम जैसे युवा चाहे लड़का हों या लड़की आज भी समाज मे आगे बड़ने के लि करण के सिधांत पर ही क्यू चलते हैं क़िओंकी एह एक कड़वा सच है जव तक जातिवाद है तब तक कोई भी तागत भेदभाव और उँच नीच की भावना को नही रोक सकती है पर जातिवाद को रोकने के जगह सिर्फ पीयेम बनने के लिए काम रोक सकती है पर जातिवाद को रोकने के जगह सिर्फ पीयेम बनने के लिए काम कर रही हो और जातिवाद मिटाने के लिए कोशिस करने की जगह एक ऐसे वर्ग की चापलूसी कर रही हो जो आज तक किसी का नही हुआ है ,आपको दलितों के दुख से नही पीयेम की कुर्सी से मतलव है , जब से मैने होश संभाला है तब से देखा है की मेरे परिवार के लोगों ने जाती के नाम पर सिर्फ आपके लिए वोट दिया है पर अब ऐसा नही होगा , इसके कई कारण है जो निम्न लिखित हैं .


)    हमारा छेत्र बहेरी – बरेली का पड़ता है जंहा पर हिन्दू मुस्लिम बराबर है  हम दलितों की हालत तो दयनीय होती है सभी जानते है  पर जो बात आज कल टीवी पर कही जाती है की मुस्लिमों की हालत दलितों से भी बदतर है पर ऐसा नही है हमारे तरफ मुस्लिमों मे 80% मुस्लिम स्वर्ण हिन्दुओं और सिखों से भी मजबूत आर्थिक स्थिति मे है  एक साथ रहते है हमारे लोग मुस्लिमों के येन्हा खेती  का काम करते है , हम लोग एक साथ रहते है , हमने 12 क्लास पास कर लिया हमे पता ही नही था की हिन्दू क्या होता है और मुस्लिम क्या होता है पर जब 12 पास करने के बाद आर्थिक स्थिति कमजोर होने के करण शिक्षा पूरी करने के लिए अपने पास क एक बड़े गाव मे इंटर कालेज मे टीचिंग करने लगा जंहा पर पड़ा ने बाले  95 % हिन्दू थे पर आर्थिक रूप से समपन मुस्लिमों से बात करने पर पता चला की हम हिन्दू है और हम मुस्लिमो से बहुत अलग है एह सब इसलिए पता चला की एक बहुत बड़ी मुस्लिम बच्चों की संख्या और उनके समाज के टीचरों के भिन्न विय्व्हार से पता चला , कभी बंदेमातरम कहने से इंकार, कभी भारत माता की जय बोलने से परहेज़, प्रार्थना मे हाथ का ना जोड़ना , येन्हा तक मुस्लिम लोगों के लिए अलग से बैठ कर पेशाव करने हेतु टोलेट बन वाना , ऐसे अनेक कर्म जिनसे हमे पता चला की हम हिन्दू इनसे कैसे अलग है
ब)    जब हम कॉलेज से बाहर निकल कर करीव के शह्‌र की एक कम्पनी मे काम करने लगे तब हमे पता चला हम तो दलित हैं और वो भी अछूत है और हम अपनी मेहनत से कुछ( मैनेजर या इंजी..) भी बनजाये पर हमे वो सम्मान नही मिल सकता है जो औरो को मिलता है ,वो तो भला हो हमारे एम डी साहव का जो स्वर्ण होकर भी जातिवाद को नही मानते है और मुझे अपने छोटे भाई की तरह मानते हैं.
सी)    बहन जी क्या बात है की जब तक किसी को हमारी जात का पता नही होता है या हम दूसरी बताते है तब तक हमारा सम्मान होता है और जब भी एय पता चलता है की वो दलित है उसके साथ बेडभाव शुरु हो जाता है एही बजह है सहरो मे रहने बॅया 90% (लगभग) पड़े लिखे दलित अपनी जात को छिपा कर या फिर किसी स्वर्ण कास्ट मे परिवर्तित हो कर रहते हैं , एह नियम महान कर्ण का नियम है इसका पालन सिर्फ लड़के ही नही लड़कियां भी  करती हैं , अपने 2 साल के कार्य काल मे 500 से जादा लड़के और 300 से जादा लड़कियां देखी है जो स्वर्ण के जातिसूचक़ शव्द लगा कर रहते है ,
, में भी पहले इन  लोगो को एही समझता था परंतु जैसे 2 उनसे बर्तालाप बड़े उनकी हक़ीक़त और दर्द सामने आ गया है ,
द)     बहन जी 65 साल बाद भी हम क्यू आज भी करण के तरह जाती को छुपा कर कुछ करना होता है ,क्यू लोग जाट पूछते हैं , और बताने के बात विय्व्हार मे परिवर्तन आता है ,अगर आपने  भेद भाव मिटाया हैतो  आज भी हम 10000 साल पहले के करण जितने  मजबूर क्यू है ?
ए)     बहन जी आज आप जिस कांग्रेश के साथ हो बो ही इसका मुख्य कारण है जो सुनियोजित तरीके से जातिवाद को मज़बूत कर रही है
हन भाईओं में कांग्रेश की एक ऐसी करतूत बताने जा रहा हूँ जो किस तरह से जातीबाद को बडावा दे रही है
1-हमारे किसी भी महापुरुष के नामों की आगे जातिसूचक शव्द नही होते थे ,जैसे राम,क्रष्ण, कर्ण, अर्जुन,गौतम,आदि….. पर आज जो सर नेम की प्रथा है वो कांग्रेश वडावा दे रही है इसका प्रमाण ,
मेरा नाम सिंगल है" भगीरथ" जिसमे कोई जातिसूचक शव्द नही ल्गा है हमारे पूरे घर ही नही पूरे गाव मे हमारे समाज के किसी भी इंसान के नाम की आगे ऐसे शव्द नही लगे है ,
, अभी मुझे ICICI बौंक मे एक खाता था परंतु सिंगल नाम होने के कारण् ICICI, IDBI, PNB, HDFC बैंक मे मेरा खाता नही खुला किओंकी नाम की आगे जाती सूचक शव्द नही लगा था जैसे की आज कल फैसन मे सर नेम कहते है जो अंग्रेज़ों  की परम्परा है , हमारी नही . अगर आपको विस्वास ना होता हो तो आप किसी सिंगल नामकी ID को लेकर  बैंक जायें और खाता खुलवाने की कोशिस करके देखें , मुजेह तो ऐसा लगता है की मेरा खाता तो मोदी जी के अमरीकी बीज़ा की तरह हो गया है जो पता नही कब खुलेगा , खैर में अभी अपने गाव के पुराने ग्रामीण बैंक के खाते से ही काम चलाता हून .
बहन जी कांग्रेश बड़ी ही चालाकी से इस देश मे जातिवाद का ज़हर घोल रही है और आप जैसे सत्ता के लोभी
अम्बेडकर की जगह कांग्रेश का साथ दे रही हो

ज़रा सोच कर देखो बहन जी की रात दिन मेहनत करके अपने दम पर कोई मुकाम हासिल करने के बाद जव जातिवाद के कारण हमारे साथ भेदभाव होता है तो कितना दुख होता है

बहन जी अगर आरक्षण के से पाई नौकरी के बाद भी भेद भाव का सिकार होता है तो वो कैसे जी पायेगा , क्या आरक्षण सिर्फ  रोटी के लिए है तो रोटी तो विना अरकक्षण के भी कमा के खा सकते हैं

इंसान भूखा रह कर सो सकता है पर विना सम्मान के चैन से कभी नही सो सकता है
अगर सम्मान पाने के लिए समस्या से भाग कर जाना कोई उचित उपाय नही है उदारण हेतु अगर आज में भेद भाव से बचने के लिए जाती को बदल कर या छुपा कर रहूं तो मेरी अपनी निज़ी समस्या तो खतम हो जाती है पर मेरी ही तरह के मेरे अनेको भाई बहन तो इस समस्या से परेसान होते ही रहेंगे , में करण के सिधांत को गलत भी नही मानता किओंकी स्वर्ण भी हमारे अपने ही हैं ह्म सब एक हैं पर जो समस्या है उसे मिटाने हेतु तो कुछ करना चाहिए वो कोई क्यू नही कर रहा है  ?
सत्ता के लिए अम्बेडकर जी का इस्तमाल मत करो ,
 अगर करना ही है तो उनके अधूरे काम को पूरा करने की कोशिश करो ,हम खुल कर आपका साथ देंगे पर अगर सिर्फ प्रधान मानती बनने के लिए राजनीति  करोगी तब वो दिन दूर नही जब दलित आपसे दूर होने लगेंगे.


गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

आज़म ख़ान को सेना स्वम् गिरफ्तार कर फांसी दे !

आज़म ख़ान ने सेक़ुलरता के कवच के माध्यम से जो बहुत ही खतरनाक देश विरोधी बयान दिया है उसके पीछे आज़म ख़ान की क्या मनसा है किओंकी पाकिस्तान की फ़ौज़ यही चाहती है की भारत की फ़ौज़ की किसी तरह से टुकड़ों में बाँटा जाये जिससे उसका मनोबल कमजोर हो और वो अपने नापाक इरादों मे कामयाव हो सकें ,आज़म का यह बयान पाकिस्तान और पाकिस्तानी सेना के पूर्ण अनुरूप दिया गया है इसलिए यह सीधे सेना और देश द्रोह से ज़ुड़ा हुआ बयान है इसका चुनाव से कोई लेना देना नही है इस समय सेना इसे अपने संग्यान मे ले और इसकी गंभीरता को देखते हुए सेना इसे फौरन गिरफ्तार करे और हो सके तो इसे चौराहे पर फांसी दे देनी चाहिए इसने जो बयान दिया है वो सिर्फ एक अपराध नही है बल्कि महा पाप है हम कहते हैं की अगर आपको हिन्दू -मुस्लिम को लडवाना है वो भी वोटो की खातिर तो वो तो आप करते ही रहते हो पर सेना को बीच मे घसीटने का कोई मतलव ही नही वनता है एह अक्षम पाप है इसके लिए आज़म को फ़ासी से कम नही होनी चाहिए वो भी चौराहे पर ताकि कोई नेता बाद मे इस तरह का पाप ना कर सके 

बुधवार, 9 अप्रैल 2014

अगले 20 सालों मे देश टूट जायेगा, इसके 5 कारण हैं

अगले 20 सालों मे देश टूट जायेगा, इसके 5 कारण हैं
1-जनसंख्या विरधी पर रोक नही : देश के अंदर एक ऐसा वर्ग है जो जनसंख्या बड़ा कर सत्ता पर काविज़ होने का प्रयास कर रहा है इस प्रकार के लोगों को देश के विकास से नही अपने वर्ग के विस्तार से ज़ादा मतलव है , इस वर्ग की नीति एह है की जब तक 20% से कम है भाई चारे की बात करो और जब सांख्या 40% से उपर हो तो दूसरे मजहव के साथ रहने मे असमर्थता जता कर अलग होने या फिर सत्ता पर काविज़ होकर सबकुछ अपने अनुसार करना
2-जातिवाद को वडवा: इस देश का दुर्भाग्य ही है की देश आज़ाद होने के वाद देश को जातिवादी रूपी इस नासूर से मुक्ति दिलाने की जगह इसे और बड़ाया गया है जिसके खातिर आज देश की जनता मे राजनीतिक नफरत के करण जातिवाद का दायरा और माजवूत और बड़ाया गया है जो देश के लिए घातत्क है ,राजनीतिक दल अपने 2 फायदे के लिए हिन्दुओं को एक नही होने देंगे जिसका फायदा अलगाव वादिओं को मिलेगा देश के टूटने मे बहुसंखयकों का एक ना हो पाना भी कारण बनेगा .
3-तुस्टीकरण : एक विशेस वर्ग के वोट बैंक को पाने के लिए तुस्टीकरण हद से ज़ादा खुल कर किया ज़ा रहा है इस तूस्टी करण से एक वर्ग को अपराध करने पर छूट मिलती है तो दूसरे वर्ग पर सख्ती होती है अलगाव बाड़ी वर्ग को माजवूत किया गया है , तुस्टीकरण भी देश के विभाजन मे एक बहुत बड़ा कारण होगा
4-सेक़ुलरता : आज देश मे सेक़ुलरता देश मे अराजकता फैलाने बाले और अलगाव वादिओं का सुरकक्षा कवच बना दिया गया है जो देश के लिए आत्मघाती हतयार बन गया है सेक़ुलरता बहुत बड़ा एक करण है देश को तुड़ाने के लिए
5-मीडिया : आज मीडिया सक्रिय तो है परंतु वो  सेक़ुलरता की आगे सारे मुद्दों को भूल जाते है और जनता को जागरूक करने की जगह देश द्रोहिओं और अलगाव वादीदिओं को सेक़ुलरता का कवच पहना कर उनके बचाव मे बोलते हैं जो देश के लिए घातक हैं ,

 आज एक वर्ग है जो खुल कर गुप्त रूप से देश को टुकड़ों मे बाटने की मांग कर रहा है परंतु मीडिया चुप है और उनके बक़तव्य को सेक़ुलरता का ज़ामा पहना कर उनका समर्थन कर रहा है . दिल्ली का इमाम, शिया इमाम, आज़म ख़ान, आउलेमा हिन्द के मुखिया श्री अरशद मद्नी, और अब्दुला,तौखीर रज़ा,मसूद और  आंध्रा के नेता गण सब गुप्त रूप से अलग देश की मांग कर रहे है पर मीडिया इन पर कुछ नही बोल रहा है .इन लोगों के बोलने के तरीके से सॉफ होता है
की एह लोग इस देश के टुकड़े करने के लिए उतारू है और गुप्त रूप से अलग देश के मांग कर भी रहे है पर अलग तरीके से जिसे कोई भी आदमी आसानी से समझ सकता है
ऐसा नही है की हम देश को टुकड़े होने से नही बचा सकते हैं उसके लिए हम एक ऐसा नेता चाहिए जो मजबूत हो और ताना शह जैसा हो और विकास के साथ 2 देश मे एकता और अखंडता के लिए काम करे.
 सबसे पहले जातिवाद पर पूर्ण रोक लगे , जनसंख्या विरद्धी पर रोक लगे,तुस्टीकर्ण को दंडनीय अपराद घोषित किया जाये. सेक़ुलरता का मतलव बदल कर भारत अखंडता होनी चाहिए,
मीडिया अपने मे सुधार करे और अलगाव वादियों को लताड़े. 
वर्ना वो दिन दूर नही जब हम 1947 जैसी हालत मे खड़े होंगे

अगर मोदी जी सत्ता मे आये तो देश बॅंट जायेगा ?

शनिवार, 5 अप्रैल 2014

चुनाब आयोग बिना दाँतो का नाग है जो सिर्फ फुस्स फुस्स करता है डसता नही !

चुनाब आयोग बिना दाँतो का नाग है जो सिर्फ फुस्स फुस्स करता है  डसता नही !

चुनाव आयोग एक मजाक का पात्र क्यू बन रहा है , इतना डीला और शुस्त काम होगा तो लोग तो देश द्रोही बनेंगे ही उनेह अल्गाब करने से कौन रोक सकता है .
लोग खुल कर साम्प्रदायिकता फैला रहे हैं पर चुनाव आयोग की कोई पकड दिख ही नही रही है
कोई भी नेता किसी को गाली देता है कोई कुछ भी अभद्र टिप्पणी कर सकता है परंतु आयोग का कोई नियन्त्रण नही है
देश की टॉप 1 की नेता इमाम से मिल कर साम्प्रदायिकता के नाम पर वोट मांग रही है पर चुनाव आयोग चुप है
चुनाव के समय कोबरा जैसा पत्र स्टिंग कर के माहोल खराब करना चाहता है पर आयोग चुप है
लोग जाती और धर्मा के आधार पर खुल कर वोट मांग रहीं हैं पर आयोग चुप है
लोग भड़काऔ भाषन दे रहे हैं पर आयोग चुप है
लोग धर्मा के आधार पर वोट मांग रहे हैं पर आयोग चुप है
लोग हिंसा कर रहे हैं पर आयोग चुप है
अरे  भाई जब आपको कुछ करना ही नही है तो फिर आचार संहिता का हवाला क्यू दिया जाता है रही बात समझाने की या सलाह देने की तो वो काम तो मीडिया भली भांति कर ही रहा है फिर आचार सहिंता की क्या ज़रूरत है
वास्तव मे चुनाब आयोग के इसी डीले पन के करण नेताओं की भाषा इतनी अभद्र है ,
नेताओं के गलत आचरण और अभद्र भाषा के लिए सीधे 2 चुनाव आयोग ज़िम्मेदार हैं
में तो इतना ही कह सकता हून की चुनाब आयोग बिना दांतो का नाग है जो सिर्फ फुस्स फुस्स करता है किसी को डसता नही है और जब तक आयोग ढीला रहेगा यह सब होता रहेगा . इसलिए चुनाव आयोग को अति शख्त होनी की अबस्यकता है.

सामने आया सोनिया का असली साम्प्रदायिक चेहरा

सामने आया सोनिया का असली  साम्प्रदायिक चेहरा

सामने आया सोनिया का असली साम्प्रदायिक चेहरा:इमाम से की मुस्लिमों का वोड कांग्रेस को दिलवाने की अपील.
आज तक हम सोचते थे की स्वामी स्वरमण्यम और स्वामी रामदेव जी सोनिया की कठोर निन्दा इसलिए करते है की उनका कोई अपना मतलव होगा परन्तु जिस तरह से सोनिया ने सामने से साम्प्रदायिकता के आधार पर हिन्दुओं का दमन किया है उसे पता चलता है की सोनिया गाँधी इस देश की सबसे बड़ी दुसमन है जो हर प्रकार से देश को लूट रही है
1-कोबरा पोस्ट के दुआरा चुनाब के बेहद नज़दीक बाबरी स्टिंग करबाना इसका मुख्य काम है
2- देश मे मुस्लिम नेताओं को कुछ भी अभद्र बोलने की छूट देना
3-दिल्ली के इमाम को खुल्ली छूट देना और उससे से मिलकर उसे मुस्लिमों के बोटों को कांग्रेश को देने की अपील करवाना सबसे बड़ा साम्प्रदायिक काम है
4-मुल्ला पूजन और मुस्लिमटुस्टीकरण से दलितों के हक को छीनना
5-इस देश मे ईसाई मिशनरीओं को धर्मांतरण करबाने की खुली छूट देना
आज इनका असली चेरहा जनता के सामने आ ही गया है अब जनता को निर्णय करना होगा की किसका साथ देना है देश भक्त का या लुटेरों का

शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

फिर से ज़मींदारी प्रथा चालू करेगा : अंग्रेज़ों का केजरी दलाल

हम सब जानते हैं की ज़मीदारी प्रथा एक ऐसी  प्रथा थी जिसमे माना जाता था जिसकी लाठी उसकी भैंस मतलव जो जितना तागतबर होता था उसका दवाव उतना ही जाड़ा रहता है दलितों और पिछड़ों का शोसन करना इस प्रथा का मुख्य उद्देश्य था देश आज़ाद होने के बाद सरकार ने कितनी मुस्किल से एह प्रथा खतम कराई है उसका अंदाज़ा लगन कितना मुस्किल है परंतु आज एह केजरी दलाल फिर से मोहल्ला सभा और गराम सभा के दुआरा इस प्रथा को जीबित करने की बात कर रहा है , हम इतना बताना चाहते है सत्ता विकेद्रीकरण की बात सिर्फ और सिर्फ देश का गद्दार ही कर सकता है किओंकी वो सत्ता के अनगिनत केन्द्र बनबा कर सिर्फ और सिर्फ लोगों को लडवा कर अपना फायदा करना चाहता है और देश का नुकसान
जब हर गाव और मोहल्ले मे सभा होगी तो लोग रोज़ राजनीति करेंगे अपने फायदे के लिए लोगों को लड़बायेंगे मरबायेंगे , दंगे करबायेंगे , भाई को भाई से लड़बायेंगे , जो गरीव हैं उनेह और दबाया जायेगा , हर  वर्ग कोने मे अराजकता फैल जायेगी और फायदा बिदेशिओं को होगा वो आसानी से इस देश को टूकड़े 2 कर सकेंगे एही केजरी दलाल चाहता है जिसके लिए इसने अंग्रेज़ों से पैसा लिया है  अगर समय रहते इस पाखंडी को जेल मे नही डाला गया तो एह देश के टुकड़े करबाने मे सफल हो जायेगा .

"गुलावी क्रांति" से विकास करेंगे सेक़ुलर ढोंगी |

आज दिनांक 3.4.14 को एक न्यूज़ चैनल ने मोदी के गुलावी क्रांति के विरोध मे दिए गय भासन पर एक प्रोग्राम चल्लाया था जिसका नाम रखा था गुलावी क्रांति के बहाने हिन्दुत्व , और सेक़ुलरों का सीधा सा आरोप था की इसके बहाने मोदी साम्प्रदायिकता फैला रहे है , उनका काम तो आरोप लगाना है परंतु अफसोश सिर्फ इतना था की वँहा पर बैठा कोई भी भाजपा नेता इसका खण्डन ठीक से नही कर पाया था जो लोग भी जबाब दे रहे थे वो सब गोल मोल  जबाब थे हो सकता है भाजपा अपने कुछ राजनीतिक फायदे के लिए खुल कर ना बोल पाती हो परंतु जो सेक़ुलर है वो इस कदर मुल्ला पूजन मे गिर जांएगे कभी सोचा भी नही था , अब तो एही कहा जा सकता है की ढोंगी सेक़ुलरों के लिए मुल्ला पूजन मे बस एक ही कमी रह गई ( गाय  का ......... ) जिससे में कह नही सकता . अरे सेक़ुलरों शर्म करो मुल्लपूजन के लिए अपने महा पुर्षों के विचारों तक की बलि देने से नही चूक रहे हो अब तो गिरने की हद हो गई है ,इसी करण से लोग और पड़े लिखे यूबा सेक़ुलरता से नफरत करने लगे हैं , सेक़ुलरता का मतलव समानता ,एकता और रास्तरभक्ति होता है मुल्लपूजन से अपने तो सेक़ुलरता का पूरा अर्थ ही बदल दिया हा है , “अपने पशओं का मांस बेंचकर अमीर बनने से भला है गरीव रहना”
गुलावी क्रांति के खिलाफ बोलने पर आप मोदी को साम्प्रदायिक कहते हो मत भूलो की इस देश के हर बड़े महापुरुष ने पशु धन को बचाने की और जीव हत्या ना करने की बात कही है  आपने सिर्फ मोदी साम्प्रदायिक नही कहा हमारे महा पुरुष का अपमान किया है इसके लिए आज की जनता आप को माफ नही करेगी
1-सबसे पहले भगबान श्री क्रशन पशु पूजक थे भकछक नही .
2- भगबान श्री महावीर जी क्या वो जीव हत्या के विरोधी नही थे ?
3-भगबान गौतम बुद्ध जी क्या वो जीव हत्या के विरोधी नही थे ?
4-बाबा सहव अम्बेडकर जी क्या वो जीव हत्या के विरोधी नही थे ?
5-गुरु नानक देव जी क्या वो जीव हत्या के विरोधी नही थे ?
6-संत श्री कवीर दास जी क्या वो जीव हत्या के विरोधी नही थे ?
7-संत श्री रविदास जी क्या वो जीव हत्या के विरोधी नही थे ?
8-गाँधी जी क्या वो जीव हत्या के विरोधी नही थे ?
9-स्वामी दायनाद, विवेकानाद आदि
10-इस देश के सम्भिधान मे सॉफ 2 लिखा है की पशु धन की  रक्षा होनी चाहिए .

इन तथा कथित मुलापूजकों के लिए उपरोक्त सभी साम्प्रदायिक हुए किओंकी सभी पशु हत्या के विरोधी थे सेक़ुलर तो सिर्फ मुल्ला पूजक ही है .
आज दूध उत्पादन मे जिस तरह से कमी आ रही है उसका कोई पैमाना नही है एक कांग्रेषी कह रा था की डेयरी की रिपोर्ट के हिसाब से दूध का उत्पादन बड़ा है
पर किस अनुपात मे आज जिस अनुपात मे जनसंख्या है और जिस तरह की आबस्यकता के अनुसार ना के बराबर है लोग दूध पीने की दूर की बात है चाय के लिए भी मुस्किल से जुटा पाते है
हमारे बचपन मे जो भैंसा खेती कार्य हेतु 5000 रूपय मे मिलता था आज वो 70000—80000 के वीच मिलता है एह सब मांस उत्पादन के करण है
मुझे एक बात समजह नही आती की इन ढोंगी सेक़ुलर कुत्तों को जबाब सिर्फ एक मोदी ही देगा बाकी के सब लोगों ने चूडियाँ पहन रखी है , बाकी सब लोगों के मूह क्या सिल गये है , साँप सूंघ गया है क्या एह देश अकेले सिर्फ मोदी का ही है हम लोगो का कोई फ़र्ज़ नही वनता है . में अपने पाठकों से अति कड़े शब्दो के लिए माफी चाहता हून पर जिस तरह बेज़ुबां जानवरों को काटने के लिए एह सेक़ुलर उत्साहित होकर बोलते हैं उसे आत्मा घायल हो जाती है , क्या बिगाड़ा है इन बेज़ुबां जान बारों ने जो उनको खतम करबाने पर तुले हुए हैं एह सेक़ुलर