शनिवार, 15 मार्च 2014

मोदी के खिलाफ विरोधिओं का कमल व्यहू

मोदी के खिलाफ विरोधिओं का क़मलवयहु


पिछले ब्लॉग मे हमने कांग्रेश के चक्रविहू की बात की है अब हम कमल व्यहू की बात करते हैं.

आखिर क्या होता है यह कमल व्यहू = जिस प्रकार कमल के पुस्प मे सभी पांखडी समान होती है और इंसान को इनमे अंतर करना मुस्किल होता है और वो भ्रम मे फस जाता है ठीक इसी प्रकार का है कांग्रेश का कमल व्यहू है जिसका मकसद है मोदी का ध्यान विकास के मुद्दे से हटाना ताकि वो अपने विकास की बात जादा से जादा लोगों तक ना पहुँचाय सके अन्य मुद्दों पर भटक कर  विकास के मुद्दे पर कम बात करें तककि भाजपा को जादा  नुकसान होगा

रण नीति

1- जादा से जादा मोदी के वियाक्तिगत चरित्र पर हमला करना जिसके कारण् प्रतिघात के रूप मे मोदी भी अनर्गल बातें करें और मीडिया पर उनकी निजी बातो बहस हो जिससे मोदी की बढ़ती लोकप्रियता कम हो और उनेह वोटों का नुकसान हो.

2- मोदी को साम्प्रदायिकता से जोड़ना ताकि साम्प्रदायिकता को भ्रस्टाचार  से बड़ा मुद्दा बनाना.

3- गुजरात दंगो का जादा जिक्र किया जाये ताकि मीडिया गुजरात पर ही बात करती रहे और मोदी या भाजपा बार बार इसी पर सफाई देते रहें और विकास की बात ना कर सकें

4- मुसलमानो को मोदी डर दिखाना ताकि मोदी उनेह समझाने की बात करें और विकास की बात ना करपायें.
5- दलितों को गुमराह करना की मोदी अरकछन को खतम कर देंगे और दलितों की हालत बदतर हो जायेगी.

6-सेक़ुलर वर्ग दुअरा मोदी को तानाशाह घोषित करवाना ताकि इस पर जादा से जादा बात हो और मोदी विकास की बात ना कर पायें.

7- विरोधी दलों को एक करना और मोदी रोको अभियान मे लगाना और मोदी को विकास की बात करने से रोकना

कांग्रेश हर प्रकार से कोशिस कर रही है की मोदी को इस कमलविहू मे फाँस कर रखा जाय और विकास की बात स्पस्थ करने से रोका जाये ताकि आसानी से उनेह रोका जा सके.

अब मोदी के उपर है की वो इस कमलविहू को कैसे रोकते हैं. मोदी जितनी जल्दी इस कमल व्यहू को समझ लेंगे उनके लिए उतना ही फायदे मंद होगा .


केजरीबवाल 'आप" के "पाप" तो "बड़े ही क्रांतिकारी" है |

केजरिबाल का मतलव रास्ट्र द्रोही

सबसे पहले में केजरिबाल की पार्टी के 3 नाम करण कर रहा हून.

आप= अनर्गल आरोपवादी पार्टी = अराजक आतंकवादी पार्टी= अमेरिकन अजेंट पार्टी

इस पार्टी के 3 नम ही इसकी हक़ीक़त है बाकी की हकीकत सभी जानते है ऐसा कौन सा बुरा काम है जो एह नही करता है.

1- सबसे पहले यह महा भगोड़ा है
2- एक नंबर का झूंठा है विन्नी इस बात को साबित कर चुका है
3- महिलाओं का अपमान करता है
4- हर काम करने मे पूर्णता अयोग्य है.
5- दूसरों से सबाल करता है पर खुद एक बात का भी जबाब नही देता है
6- अपने गुरु का नही हुआ
7- अपने बच्चों की कसम खा कर पलट जाता है अपने बच्चों का भी नही हो सका
8- अपने दोस्त पर भी सबाल उठाया है.
9- जो अपने गुरु, बच्चों, और दोस्त का ना हो सका वो देश का क्या हो सकता है.
10- अब इसके लिए भ्रस्टाचार से बड़ा मुद्दा साम्प्रदायिकता है
11- एक उधोगपति  से साठगाँठ के आरोप भी लग चुके हैं 
12- मीडिया से फिक्सिंग करता है
13-इसके आतंकी हर जगह आतंक मचाते है हर किसी के भी घर मे पत्तर फेंकते हैं.
14- क्स्मीर से सेना हटाने और कासमीर को पाकिस्तान को देने की बात करता है
15- बरेली के दंगे मे सामिल और आतंक को बडवा देने बाले से मिलता है
16- देश का गलत नक्शा बनाता है
17- हेलीकाप्टेर् मे यात्रा करता है और अपने को आम आदमी कहता है
18- सी आइ ए का अजेंट है.
19- देश विरोधी संस्थाओं से चंदा लेता है
20- पूर्ण रूप से असफल, अयोग्य, और भगोड़ा सीयेम है
21- मीडिया को जेल मे भेजने की खुली धमकी देता है
22- सत्ता विकेन्द्रीकरण की बकालत करता है जिससे देश को तोड़ने मे आसानी होगी
23- हर रोज नई 2 अराजक नौटंकी करता है

इसका एक ही उपाए है इसको या तो चुनाव आयोग जेल मे डाले या फिर इसके घर बाले इसको पागल खाने मे भरती करबायें

जनता साबधान् सत्ताविकेन्द्रीकरण परमाणु बम्ब से भी घातक.


आज देश के कई बड़े लोग हैं जो चाहते हैं के सत्ताविकेन्द्रीकरण करण हो, परंतु जब हम उन लोगों के बारे मे जानेंगे तो पता चलता है सत्ताविकेन्द्रीकरण  इनकी सोची साँझी राजनीति नीति है.

सबसे पहले हम जानते है की यह है क्या: किसी एक पार्टी दुआरा दूसरी पार्टी को सपोर्ट  करना सत्ताविकेन्द्रीकरण  नही है.परंतु किसी पार्टी को सशर्त समर्थन देना और अपनी सकती दूसरी पार्टी के समांतर रखना या दूसरी पार्टी के समांतर सत्ता चलाना सत्ताविकेन्द्रीकरण .होता है
इस्पस्ट है सत्ता मे सहयोग करना सत्ताविकेन्द्रीकरण नही होता है 
वंही केजरीवाल का विकेन्द्रीकरण तो और भी विस्तृत है उनका कहना है की हर गाव और गाली के हर वियाक्ति के पास सत्ता चाल्लाने की तगत हो, अरे भाई सभी के राज करने से अराजकता नही फैलेगी  वास्तव मे ऐसा संभव नही है एह सिर्फ अराजकता फैलाने का एक मध्यम है और एही केजरिबाल का मकसद है.

सत्ताविकेन्द्रीकरण  का समर्थन करने बाले लोग,

1- अमीर ख़ान: यह सत्ताविकेन्द्रीकरण  की बात करता है जिस पर उसके ही सगे भाई ने भेद भाव करने के कई बार आरोप लगाये है अपने घर मे सारी सकती अपने हाथ मे रखते है और  देश को हजारों  जगह देना चाहता है.

2-शारुख ख़ान: जो पहले ही कह चुका है की वो देश मे पूर्ण सुरकसित नही है इतना
 ही नही पाकिस्तान ने भारत से सुरक्षा देने को कहा है और तो और पाकिस्तान ने उसे पाकिस्तान मे रहने की दावत की है इतना ही नही शारुख भी कह चुका है की अगर मोदी प्रधानमंत्री बना तो वो देश छोड़ देगा.

3- प्रसान्त भूसन:  जो कहता है की कासमीर से सेना हटा लेना चाहिये  यानि की देश का गद्दार.

4- केजरिबाल: जो भारत के सम्भिधान का अपमान करता है एक अराजक पुरुष|

5- आप पार्टी: जादातर देश विरोधी ताकड़ों के पैसे पर खड़ी हैं इसकी साइट पर कश्मीर को पाकिस्तान का भाग बताया गया है इसके जादातर नेता अलगाव वादी है केजरी की तो पूरी मानसिक्त माओवादी

6-नितीश कुमार:  जो चीन से मिला हुआ है और उसके ही साथी स्वराज दुआरा 25 लाख लेकर मोदी को रोकने का आरोप लगा चुका है,

7-थर्ड फ्रंट: जिसमे जादातर बाम दल है जो देश विरोधी सकतिओं का समर्थन करती है

8- कश्मीरी नेता: जो जादातर अलगावबाडी हैं.

9-मुल्ला मुलायम: जो चीन पर तो बोलता है परन्तु पाकिस्तान पर कभी नही बोलता है,

सत्ताविकेन्द्रीकरण सत्ताविकेन्द्रीकरण के नुकसान

उच्च स्तर पर:

1- अगर कोई कठोर देश हित का निर्णय लिया जायेगा तो देश विरोधी शक्तियाँ उस निर्णय पर रोक लगाने काम करती हैं.

2- अगर किसी पार्टी को ऐसा लगे की फला कानून से उसकी पार्टी को नुकसान होगा तो वो उस कानून को पास नही होने देगा भले ही एह कानून देश हिट मे हो.

3- पार्टियाँ अपने निजी फायदे के लिए देश हिट को ताक पर रख देती है .

4-जब सत्ता अलग अलग पार्तिओं को होती है तो वो अपने निजी स्वार्थ के कारण टूट जाती है और सरकार गिर जाती है.और चुनाव का अतिरिक्त बार सहें करना पड़े हैं.
5- अगर कोई अच्छा काम होता है तो उसका श्रेय सभी लेने की कोशिस करते है इसमे कोई बुराई नही है परंतु जब कोई गलत काम होता है तो हर कोई अपनी जिम्मेदारी से हटता है और आरोप दूसरे पर मड़ता है ऐसे मे जनता कॅनफ्यूज़ हो जाती है की कौन सही है और कौन गलत है जो आरोपी होता है वो सॉफ बच जाता है हर आदमी अपनी जिम्मेदारी से भाग कर अपने को पाक और सॉफ  कर लेता है जब अभी के हाल के 10 सालों मे सत्ता के दो केन्द्र थे तब देश की हालत क्या हो गई है यह सभी जानते है अब सोच सकते हैं की जब हर हाट मे सत्ता होगी तब क्या होगा . इसी सत्ता वीकेन्डरी करण के कारण केजरी की खुद की पार्टी 2 महीने मे ही अपने पतन की राह पर है 
निचले स्तर पर

1- अगर किसी गाव मे  प्रधान बना  वो 5 सालों मे ही अपने को तागत  वर बना लेगा और बहू बलि बन जायेगा.

2- उच्च सत्ता के काम मे हस्त छेप करने लगेगा लोग अपनी निजी तागत बदायेँगे जिसका लाभ वो अपने निजी कामों मे लगाएंगे  जबकि सत्ता का सीधा सा मतलव समाज सेवा है.

3-कुछ बहू बलि अपनी तागत से स्तानीय ज़मीन पर हमेसा राज करना चाहेंगे .

4- एक मैदान पर दो प्रतिदूंधी होने पर टकराव की स्थिति पैदा हो जाते है अब अगर एक ही गाव मे ऐसे 10-20 बहू बलि हो गये तो लडकर मरने लगेंगे.

5- अगर हर  गाव मे कोई ना कोई सत्ता की चाह रखने बाले होते है पर वो बहू वाली होंगे तो मामला घातक होगा चारों तरफ अराजकता फेल जायेगी.

और केजरिबाल इसी प्रकार की अराजकता फैलाना चाहता है जिससे देश विरोधी तागतों का काम आसान हो जाये. और देश के टुकड़े हो जाये इसी लिए उसे  ( C .I. A) का एजेंट कहा जाता है

इसलिए युवाओ सावधान देश को सत्ता विकेन्द्रीकरण की नही केन्द्रीकरण और ससक्त नेत्रत्व की ज़रूरत है .

मायावती दलितों की दोस्त कम दुश्मन जादा |

आज पूरे भारत मे मायावती एकलौती मजबूत दलित नेता है परंतु आज बो दलितों के हित पर ध्यान नही देती हैं सिर्फ अपने निजी स्वार्थ पूरे करने की जादा सोचती है.

माया की अच्छाई

1- माया ही पूरे देश मे एकलौती सच्ची सेक़ुलर नेता है जो उपद्रव करने पर मुल्लों को भी पीटती है और हिन्दू अतिवादिओं को भी.

2-मायावती पीयेम बनाने की जल्दी बाजी मे नही है

3- उनके राज्य मे गुंडा गार्दी और दंगे नगण्य रहते है

4-कर्म चारी अपना काम समय से करते हैं

5-जनता के लिए अपने कामों को करबाने के लिए जाड़ा परेसान नही होना पड़ता है

6-उनके राज्य मे पक्छ पात नही होता है.

माया का सकारात्मक मंत्र :  सार्वजन हिताय सार्वजन सुखाय सबसे महत्वपूर्ण है

माया की बुराइँया

आ---
माया को यह नही भूलना चाहिए की बसपा का मसद दलित विकास था जिससे बो भटक रही है परंतु आज माया उल्टा कर रही है सार्वजन हिताय सार्वजन सुखाय की योजना सही है पर इसके दुआरा दलितों को किनारे कर मुस्लिमों को प्राथमिकता दी गई है जो की उचित नही है

1-दलितों के हिट को किनारे कर मुस्लिमों को प्राथमिकता दी जा रही है जो की सारा सर गलत है
आ) दलित प्रताडित और सोषित है मुस्लिम कोई सोषित नही हैं
ब) दलितों पर जुल्म हुए है पर मुसलमानो पर कब जुल्म हुए हैं.
सी)दलित कभी शासक नही रहा है परंतु मुस्लिमों ने 400सालों तक राज किया है
द)दलित ने कभी देश के टुकड़े नही करवाय है परंतु मुस्लिम देश के दो टुकड़े  करवा कर ले चुके हैं.
ए) आज मुस्लिम हर छेत्र मे हैं आक्टेर, नेता, मीडिया, और बिज़नेस मेन परंतु दलित आज भी दलित है
फ)दलित अपनी हालत के लिए खुद जिम्मेदार नही है परंतु मुस्लिम अपनी दायनीए हालत के लिए स्वता जिम्मेदार है
ग) मुस्लिमों के हित के लिए सोचने बाले 57 मुस्लिम देश, अग्रणी मुस्लिम, मुल्ला माल्वी और कुछ और लोग (मीडिया और छदम सेक़ुलर )भी है परंतु दलित के बारे मे सोचने बाली सिर्फ भारतीये सम्भिधान है जिसे बाबा सहव ने लिखा है और हमारा मीडिया है जो बाबा साहव के वारे मे भी नही बोलता है  माया जी  आप जैसे नेता उसका अनुपालन भी नही करबा रहे है.
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ह) आज के समय मे स्वर्ण. भले मिल सकता है परन्तु मुस्लिम दलित को भी हिन्दू विरोध की नज़रों से देखता है इसका करण स्वर्ण अपने दिमाग से खुद सोचता है परन्तु मुस्लिम कभी अपने दिमाग से नही सोचता है उसके पास दिमाग तो होता है परंतु सोचता वो मुल्लों के दिमाग से ही है.
ई) अगर कंही हिन्दू मुस्लिम दंगा होता है तो स्वर्ण हिन्दू की जगह दलित हिन्दू जादा सिकार होता है कोई मुस्लिम दलितों पर रहम नही करता है
ज) वो इंसान दलितों से कितना प्रेम कर सकता है जो जो किसी दलित के गम मे शरीक नही होता है

मेडम जी स्वर्ण हमारे अपने हैं अगर मारेंगे भी तब छाया मे ही डालेंगे परंतु मुस्लिमो का क्या भरोसा है


2-दलितों के अरकछन को मुस्लिम को दिया गया है जो की गलत है मुस्लिमों के लिए अरकछन किसी भी हालत मे मंजूर नही अगर मुस्लिम अरकछन चाहते हैं तो पाकिस्तान मे हिन्दुओं को अरकछन दिलबायें तब बात करें

Note: हम किसी भी प्रकार से मुसलिनो के लिए अरकछन के हक मे नही जिसके उपरोक्त करण है पर इसका मतलव एह नही है की हम मुस्लिम विरोधी है हम कहते है की उनेह जादा से जादा मदत का प्राव धान हो पर इतना भी नही की वोट बैंक के लिए आंखे बंद कर कर सबकुछ उनेह ही देदो और दलितों के हितो को दरकिनार कर दो

3- आज यू पी के बाहर कंही भी माया के नेता नही है जिसकेकरण दलितों को अपने काम करबाने मे बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है माया ने कोई ऐसी योजना नही की, कि यू पी के बाहर के दलित भाई आसानी से अपनी बात रख सकें या अपने काम करबा सकें

4-आज के समय मे हर पार्टी अपने नये नेत्रत्व को आगे कर रही है परंतु माया ने  अभी तक ऐसा कोई कदम नही उठाया है

5-नोटों का प्रदर्शन करना दलितों का अपमान करने के बराबर है.

6-जब आप सीयेम बनकर जातिवाद और भेदभाव पर रोक नही लगा सकी तो पीयेम बनकर क्या कर लोगी.

7-पीयेम बनाने से सभी दलितों की स्थिति नही सुधार सकती है अगर सुधार सकती है तो अम्बेडकर के सिधांत से ( सिकसित बनो, संघटित बनो, संघर्स करो) परंतु माया जी इस सिधांत पर नही चल रही हैं.

8-देश मे जो लोग बौध ध्रम को मानते है जादातर लोग उनीह को अम्बेडकरवादी समझते हैं जबकि ऐसा नही है कुछ और लोग भी हैं जो अम्बेडकरवादी हैं.

9-हम किसी मजहव की बुराई नही करते है, हिन्दू धर्म से निकले जितने भी सम्प्रदाय (जैन, बौध, सीख, आर्या समाज)  है उनका सिर्फ एक ही मकसद था हिन्दू धर्म की बुराइओं को निकाल कर उसे स्वच करना परंतु कोई भी पूर्ण रूप से सफल नही हो सका है हन अन्सिक रूप से जरूर सफल हुए है, में स्वम् सभी धर्मों मे विस्वास करता हून और अपने को एक बौध बी समझता हून  परंतु में किसी चीज पर अंध विस्वास नही करता हूँ मेरी नज़र मे जातीबाद को तोड़ने के लिए बौध  धर्म ने प्रयास किया परन्तु बो असफल रहा है और आज हम अगर बौध धर्म को आगे बड़ा कर जातिवाद को तोड़ने की कोशिस करें तो सायद वो सफल होना मुस्किल होगा.

10- बाबा सहव ने पूरी जिंदगी हिन्दू ध्रम से इस जातिवाद को मिटाने की कोसिस की किओंकी वो जानते थे   की जातिवाद और भेदभाव ना सिर्फ इंसानियत के खिलाफ है बल्कि देसके  लिए भी घातक है, परंतु उस समय के स्वर्ण समाज ने उनका साथ नही दिया और सायद उस समय परिस्थितियाँ भी पूर्ण रूप से अनूकूल नही थी जिसके करण वो हिन्दू धर्म की इस बुराई को पूर्ण रूप से खतम नही कर पाये जिसकी पीड़ा से वो आहत थे और इसी पीड़ा के करण उन्होने अपने जीवन के अंतिम समय मे बौध धर्म ग्रहण् किया परंतु वो निराशावादी नही थे उन्होने अपना सिधांत दिया और सोचा था की अगर दलित समाज इस पर चलेगा तो एक दिन सफल हो जायेगा वास्तव मे बाबा साहव बहुत बड़े दूर दर्शी थे.

11- आज जादातर बसपा बाले और अम्बेडकर समर्थक येह कहते हैं की बुद्ध धर्म के दुआरा ही संघटित हुआ जा सकता है परन्तु येह भी संभव. नही. है अगर होता तो बुध धर्म अपने पैदा होने की जगह अल्प नही होता  बैसे हर हिन्दू बुध है किओंकी हिन्दुस्तान के हर इंसान के दिल मे बुध हैं.

12- कुछ लोग हैं जो कहते है बाबा सहव ने अंत समय मे बुध धरम अपनाया था इसलिए सभी को बुध धर्म अपनाना चाहिए परन्तु मेरा मानना अलग है की बाबा जी हिन्दुत्व से जातिवाद ना मिटने के करण दुखी ज़रूर थे परंतु वो निरसवादी नही थे और लोग अपनो से ही नाराज़ होते है गैरों से कोई नाराज़ नही होता है अगर बाबा सहव निराससावादी होते तो कहते की

सभी दलित हिन्दू धर्म छोड़ दें परंतु उन्होने ऐसा नही कहा उनेहोने कहा की जो स्वचा से जो करना चाहे कर सकता है बाबा सहव दुअरा बुध धर्म स्वीकार करना कोई घातक कदम नही था अगर वो निराशावादी होते तो हिन्दुत्व के लिए घातक होता

बाबा जी एक और बात जानते थे की एक साथ पूरा समाज कभी धर्म परिवर्तन नही का सकता है किओंकी ऐसा करने के लिए मानसिक स्वीक्रति भी आबश्यक् है जो कि एकदम  नही हो सकता है सब सिक्षित और विकसित नही है ताकि अपने अच्छे और बुरे के बारे में फैसला कर सकें

निराशावादी वो होता है जो पूर्ण रूप से समझ लेता है की अब सुधार के सारे रास्ते बंद हैं और सुधार होना असंभव है इस अवस्था मे दो रास्ते होते है

आ) उसी स्थिति से समजौता कर ले और अपने को अड्जस्ट करले
ब) उस जगह को ही छोड़ दे और दूसरों को भी ऐसा करने को कहें
बाबा जी निरासवादी नही थे उन्होने दुखी होकर बुध धर्म ग्रांण किया अन्य पर ऐसा करने को ज़ोर नही दिया है अगर बो निराशावादी होते तो कहते सिकसित बनो संगठित बनो और बुध धर्म ग्रहण् करलो परन्तु उन्होने इसके उलट कहा की संघर्ष करो उनेह उस दुख के समय मे भी ड्रन आसा थी की एक ना एक दिन जातिवाद खतम होगा

बाबा साहब जानते थे की अगर 4 भाई है और वो किसी एक ही प्रकार की समस्या से ग्रशित हैं उनमे अगर कोई एक बुद्धिमान है अब अगर वो इस  समस्या से बचने के लिए अपने ही भाईओं को छोड़ कर चला जाये तो क्या होगा उसकी समस्या तो समाप्त हो जायेगी परंतु उसके वो 3 भाई उसी पीड़ा को सहते रहेंगे जो की गलत है और एक साथ जा नही सकते है किओंकी सबकी बुद्धि समान विकसित और सम्रध नही हो सकती है अच्छे बुरे का फैसला करने को और ज़वर जस्टी अपना फैसला उन पर थोपना इंसानियत के खिलाफ है और बैसे भी किसी समस्या से भागना कोई उपाय नही है सामना करना ही समाधान है. इसीलिए बाबा जी ने कहा है की संघर्ष करो

14- माया जी सिर्फ नारे बदलने और राजनीतिक लाभ के लिए सिर्फ एकाध मिलन सभा करने से कुछ नही होगा पूरे समाज को एक करने के लिए कोई ठोस योजना नही बनाई है

15- दलितों पर अत्याचार ना हो भेदभाव ना हो उसके लिए कोई कानून नही बनाया है एक हरिज़न एक्ट था उसे भी कमजोर कर दिया गया है उसमे सुधार की ज़रूरत थी आपने तो उसे उदासीन ही बना दिया , जातिवाद को मिटाने की कोई योजना नही है.

16- दलितों को मुख्य धारा मे लाने हेतु कोई ठोस योजना नही है फिर आपसे कैसे उम्मीद की जाये की आप दलित नेता है



अब आप ही  निश्चय करें की मायावती कितनी दलित हितैषी है ?

मोदी के खिलाफ कांग्रेश का चक्रव्यहू |

मोदी के खिलाफ कांग्रेश का चक्रव्यहू |

भाजपा बाले सतर्क हो जाये नमो का पीयेम बनना इतना आसान नही है. अंत समय मे यह पासा पलट भी सकता है भाजपा आज तक नही समाज पाई ही परंतु राजनीति मे कांग्रेश बहुत आगे है और उसकी राजनीति बहुत ही घातक है जो भजपा को कभी भी नष्ट कर सकती है . कांग्रेश ने बहुत पहले से ही भाजपा को खतम करने के लिए राजनीति के तहत सात दुआरो की रचना की है .

दुआर 1: केजरी बॉल की आप = अनर्गल आरोप पार्टी या अराजक आतंकवादी पार्टी!
राजनीति क्या है

आ) केजरिबाल दुअरा अपने खिल्लाफ बुलवाना और मिडिल क्लास आम आदमी का विस्वास हासिल करना और उनेह अपने साथ करना

ब) मीडिया से मिलकर भाजपा के खिलाप दुष्प्रचार करवाना और केजरिबाल को मीडिया का हीरो बनाना

सी) कांग्रेश के खिलाफ आप के दुआरा उम्मीदवार उतर वाना और चुनावों के नजदीक ता क पहुचते 2 उनेह कमजोर कर देना 

द) चूनाबों के नजदीक पहुचने पर नमो के खिलाफ जाड़ा से जाड़ा दुष्प्रचार करबाना

ए) जो लोग पाकिस्तान परस्त है और अलगावबाड़ी है उनेह एक कर के अपने साथ मिलाना इसी राजनीति के तहटभारत का वो नक्श डाला गया जो विवादित है, सम्भिधान का अपमान करना, प्रसान्त, मेधा पाठकार जैसे लोगों को शामिल करना, एह इसी योजना का हिस्सा थे

फ) देश विरोधी तागतों के साथ  काम करना  देश मे सत्ता विकेन्द्रीकरण रूपी परमाणु बम्ब फेकना सत्ता वीकेन्द्रकर्ण जितना सुनने मे अच्छा लगता है यह वास्तव मे परमाणु बम्ब से भी घातक बम्ब है  जो देश को खतम करने की छॅम्टा रखता है

तोड

आ) केजरिबाल को नजरअंदाज़ ना करें उसकी देश विरोधी करतूतों का पता लगायें और जनता को सरबजनिक मंच से अवगत करायें

ब) केजरिबाल की मीडिया और अन्य कांग्रेश की फ़िक्सिंग का भांडा फोड़ करें.

दुआर 2: दलित मोर्चा (मायावती):  आज देश मे अगर कोई सबसे मजबूत दलित नेता है तो वो हैं मायाबती हैं उप मे दलित समाज मायावती को छोड़ कर नही जाता है इसका प्रमुख करण है मायावती और मुलायम ने इस राज्य मे इतना जातिवाद फैलाया है सबकुछ जातीय आधार पर ही होने लगा है कांग्रेश मायावती के मध्यम से दलित वोट हासिल करना चाहती है इसका करण है अगर दलित माया को छोड़ कर का कंही और वोट देता है तो कोई उस पर विसबास नही करता है!

तोड:

जादा से जादा दलित नेतओं को शामिल करना

ब) दलितों को जागरूक करने हेतु योजना बनाना और उनेह विस्वास दिलाना की उनका वोट भाजपा मे भी गिना  जायेगा और  समान एकता और मिलन की बात करना .

दुआर 3: मुस्लिम तुष्टिकरण:  कांग्रेश मुस्लिमों के वोट पाने के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण की हद कर देगी और इसके तहत वो हर प्रकार से संघ और हिन्दूवादी संघत्नो पर हमले करेगी और मुस्लिमो को छूट देगी.

तोड:

आ) बड़े अफसोस के सात कहना पड रहा है  नमो चाहे कुछ भी कर लें परंतु मुस्लिमों के उतने वोट नही पा सकते है जितने की उमीद वो करते है अगर वो मुस्लिम वोटो की कमी को भरना चाहते  है तो दलित वोट को प्रयास करके प्राप्त करें जो उनकी कमी को कई गुने मे पूरा कर सकते है और दलित वोट को प्राप्त करना आसान होगा

ब) अपने पुराने और रास्ट्रवादी वोट को एकत्र करने की कोशी करें तो उनेह फायदा मिल सकता है

सी) मुस्लिम स्माज मे रास्ट्र भक्ति का विकास करना

दुआर 4: जनता और मीडिया का . विकास से हटा कर सम्प्रदैकता पर केन्द्रित करना ताकि लोगों को विकास पर बात करने का मौका ही ना मिल सके!
राजनीति

आ) मोदी को . के रूप मे पेश करना
ब) सप्रदायिकता को विकास से बड़ा मुद्दा बनाना
सी) कांग्रेश को सेक़ुलर और भाजपा को सम्प्रदायिक पार्टी घोषित करना
द)मुस्लिमों  को मोदी का डर दिखाना ताकि मुस्लिम डरकर कांग्रेश को वोट करें
ए)मोदी के खिलाफ कड़े से कड़े और अपमान जनक शब्दों से संबोधित करना ताकि विदेशी मीडिया मे भी मोदी के खिलाफ माहौल बने और देश की जनता का मूड मोदी के खिलाफ बनाया जा सके .और जितने राष्ट्रविरोधी लोग हैं एक हो कर कांग्रेश को समर्थन करें.

तोड:

आ) कांग्रेश के दुसपर्चार का मुहतोड़ जबाब दें

ब) जादा से जादा देश भक्ति के बारे मे बात करें और समाज के सभी वर्गों को एक साथ जोड़ने की बात करना

दुआर 5: अपने सबसे लोक प्रचलित योजनाओं जैसे नरेगा, आर टी आइ  या अन्या का जिक्र करना  भले हिन्से कोई ज़मीनी फायदा नही हुआ है और भाजपा को भ्रस्ताचार के लिए दोषी ठहराना
चूंकि आम और दलित मजदूर नही जानता है की विकास किस चिड़िया का नाम है उसे तो काम के लिए नरेगा  जैस्सी योजनायें ही दिखती हैं इसलिए मजदूरवर्ग का दिल इनीह मुद्दों पर आसानी से बदल सकता है

तोड
 कांग्रेश का यह दुआर बहुत मजबूत है इसे तोड़ना कठिन होगा

आ) भाजपा  जादा से जादा कांग्रेश के भ्रस्ताचार का खुलासा करें
ब) मजदूर बर्ग के उठान हेतु काँग्रेश से भी आदिक सहेज और फायदेमंद  योजनाओं की घोषणा  या आस्वशन  करना चाहिए

दुआर 6: युवा नेत्रत्व:  इस मुद्दे के तहत यूबा नेताओं के तहत यूबाओं के वोटों मे सेंध लगाना है
राजनीति
आ) जाड़ा से जाड़ा यूबाओं को नेत्रत्व मे लाना
ब) यूबाओं हेतु राहुल के लिए कैंपियन चलाना होगा .

तोड

इसका जबाब एही है की भाजपा को भी युवा वर्ग को भी बडाना पड़ेगा

यूबाओं को रास्तरभक्ति क प्रति जागरूक करना

दुआर 7: कांग्रेश बचाओ मोर्चा या तीसरा मोर्चा:  एह कांग्रेश को बचाने बाले ग्रूप का एक अनिस्चित संगठन है इतना ही नही इसमे सबसे अधिक वो पार्टीस है जो देश विरोधी विचारवादी पार्टी है

आ) मुलायम (नमाज़ वादी पार्टी जो तुस्तीकर्ण कर देश को तोड़ने का काम करती हैं
ब) बाम दल जो कमुनिस्ट विचारधारा को महेत्व देते है जो की एक रास्ट्र विरोधी विचारधारा है
सी)जे डी यू नेता नितेश कुमार जो की मोदी को रोकने के लिए चीन सेपैसा लेता है
द) लालू महा भ्रस्टाचारी नेता है
ए) अन्य रास्ट्र विरोधी पार्टी जो मोदी को रोकना चाहती है

इस मोर्चे का इतिहास बताता है की एह मोर्चा सिर्फ कांग्रेश के वचाव करता है आगे से भी एह एही करने बाले हैं

तोड
मोदी के लिए एह दुआर तोड़ना सबसे मुस्किल होगा और ज़रा सी भी असाब धानी घातक हो सकती है

आ) छेत्रीय पार्टी के खिलाफ अपने को मजबूती से पेश करना होगा
ब) अपने गठबंधन को बडाना चाहिए पर बड़ी सतर्कता से कोई ऐसा गठबंधन  ना करें की नुक सां हो

सी) थर्ड फ्रंट को वोट मतलव कांग्रेश की रक्छा करना और अप्रतकचा रूप से कांग्रेश को वोट देना है


अब समय ही बतायेगा की मोदी जी अभिमनु वन्ते हैं या अर्जुन वनकर निकल पाते हैं.

सोमवार, 3 मार्च 2014

प्रधान मंत्री जी से 10 माँगें

प्रधान मंत्री  जी से 10 माँगें

1-जनसंख्या वीरद्धी पर पूर्ण रोक लगे.

2- जातवाद  के महेत्व को शून्य करने हेतु अंतरिक सामाजिक & आर्थिक समस्या निवारण गुरु का संघठन हो
जातिवाद से ना सिर्फ  दलित समाज का नुकसान हुआ है उससे भी कई गुना जादा इस देश और धर्म का हुआ है अंतर सिर्फ इतना है की दलित समाज बोल सकता है और देश बोल नही सकता है, और धर्म की तो हत्या ही हो गई है .इसलिय जातिवाद पर पूर्ण रोक लगे , तुस्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति पर पूर्ण रोक लगे

अंतरिक सामाजिक & आर्थिक समस्या निवारण गुरु |

या

 जातिवाद पर पूर्ण रोक लगे उसके बाद आर्थिक अरकछन लागू हो या सिर्फ  मदत का प्रावधान हो.


सभी राष्ट्रभक्त जातिवाद छोड़ें



3-यूबाओं को रोजगार हेतु जनम से ही बीमा योजना.

4-अंतरजातीय सम्बंद स्थापित करने बालों को प्रोत्साहन देने प्रावधान हो,इसके अलावा लव मैरिज को और सरल किया जाये.

5-किसानो के लिए फसल बीमा योजना, बिजली-पानी मुफ्त की जाये

6-स्टूडेंट का फॉर्म फीस मुफ्त हो, बेसिक सिक्षा पूर्ण रूप से मुफ्त हो, उच्च सिकक्षा के लिए बिशेष छूटपरिकक्षा - पड़ाई हेतु आने जाने का किराया मुफ्त हो, सिक्सा से सम्बन्दित किसी भी कार्य मे जाने आने का खर्च मुफ्त हो जैसे नौकरी हेतु फार्म फीस मुफ्त हो |

7-महिला सुरक्षा हेतु सख्त कानून हो, योजनायें हों

8-भेदभाव और नस्ल भेदी टिप्पणी पर कठोर कानून हो जैसे की बलात्कार पर है भेदभाव से इंसान की आत्मा विस्वास और कार्य छांटा का बलात्कार होता है
9-आतंक वाद से निपटने हेतु कड़ा कानून बने इसके साथ ही कड़ी योजना बने.
10- न्याय वीयवस्था मे सुधार हो, कुछ जटिल केसों को छोड़ कर हर केस की समय सीमा तय की जाय, जोदोहरे कानून हैं उनेह एक किया जाय जैसे हिन्दू एक्ट या मुस्लिम एक्ट को मिटा कर एक समान कानून बनाया जाये.


भावी प्रधान मंत्री से मांग है की वो इन बेसिक माँगों को माने देश की एकता अखंडता और समानता और सरलता के लिए.