भारत एक लोकतांत्रिक देश है और भ्रस्टाचार चरम सीमा पर है लोकतंत्र के जितने फायदे है तो कुछ नुकसान भी हैं , अत्यधिक लोकतंत्र-धीमी न्याय प्रणाली के कारण भ्रस्टाचार पर रोक पूर्णतया लगपाना लगभग असंभव है लोग सॉफ्ट कानून और धीमे न्याय का गलत फायदा उठाते है और भ्रस्टाचार को बडवा देते है इस भारत मे सिर्फ एक ही बिकल्प है भ्रस्टाचार से पूर्ण मुक्ति पाने का और वो है डिज़िटल मुद्रा और लेन देन और जब तक हम इस देश को नगत लेन देन रहित नही कर देते है तब तक भ्रस्टाचार रोक पाना लगभग असंभव है अभी सरकार ने यू पी आइ नमक एक एप इज़ाद किया है जो बहुत हद तक इस समस्या का समाधान है कर सकता अगर उसमे थोड़ा और सुधार किया जाये इसके बारे मे जानने के लिए नीचे दिये लिंक पर क्लिक कर जानकारी पा सकते हैं,
भारत बहुत बड़ा देश है इसमे शिक्षित और अशिक्षित दोनो तरह के लोग बहुत बड़ी संख्या में है ऐसे मे अगर देश कोई डिज़िटल लेन देन का फैसला लेता है तो पुर देश मे एक साथ लागू करना बहुत मुश्किल काम है परंतु असंभव नही है बैंक के इस सॉफ्टवेर को दो तरह से डिव्लॉप किया जाना चाहिए अभी जो इसका वर्जन है वो सिर्फ टेक्स्ट और कमांड मोड पर ही काम करता है जिसके कारण इसका उपयोग सिर्फ एक पड़ा-लिखा (शिक्षित) इंसान ही कर सकता है छोटे बच्चे और अशिक्षित लोग इसका उपयोग नही कर सकते है अगर बैंक इस येप को ग्राफिक मोड से चलने योग्य बनाये तो बड़ी आसानी से छोटे बच्चे और अशिक्षित लोग भी इसका उपयोग अच्छे तरह से कर पायेंगे !
1- इस येप को टेक्स्ट,कमांड,और ग्राफिक मोड तीनो बेसों पर तयार किया जाये,
2- तीनो मे किसी भ एक मोड को स्लेक्ट करने का बिकल्प हो,
3-यू. पी. आइ नंबर के साथ साथ एक चित्र (संयुक्तचित्र) हो जिसमे प्रथम चित्र नंबर बाले का और उससे जुड़ा हुआ दूसरा चित्र उससे सम्बंधित पिता,पति का होना चाहिए ताकि पेमेंट करते समय एक अशिक्षित नागरिक भी पहचान सके की वो किसको अपना पैसा दे रहा है ,
4-यू पी आइ नंबर का एक कार्ड बैंक की तरफ से बनना चाहिए ताकि एक अशिक्षित इंसान अगर कंही अपना नंबर भूले तो उस कार्ड के माध्यम से किसी की सहायता से अपना नंबर ज़रूरत पर उपयोग कर सके ,
5-पस्सवर्ड भी नुमैरिक एवं ग्राफिक (स्किन) का होना चाहिए ताकि कोई भी शिक्षित इंसान कम पडेलिखे या अशिक्षित के यू पी आइ नंबर का दुरुपयोग ना कर सके !
6-अगर यह एप इंटरनेट पर काम करता है तो इसे ऑफलाइन काम करने योग्या भी बनाया जाये और जैसे ही उपकरण नेट क्षेत्र में पहुंचे सारा कार्य ऑनलाइन अपडेट हो जाना चाहिए या फिर इसे अलग से इंटरनेट की जगह सिर्फ मोबाइल सिग्नल पर काम करने योग्य बनाया जाये ,
7-और क्षेत्र की बैंक इस बात की जिम्मेदारी लें की उनके क्षेत्र मे सही से मोबाइल सिग्नल है अथवा नही अगर नही तो उन्हें ठीक कराने की जिम्मेदारी बैंकों की होनी चाहिए.
8-जो लोग शिक्षित है वो अपने स्मार्ट फोने से इस एप को चला सकते है परंतु छोटे बच्चों और अशिक्षित लोगों के लिए अलग से एक छोटा उपकरण बनाया जाये जिस पर यह एप आसानी से काम कर सके और वो लोग आसानी से इसे अपने साथ रख सकें , और इसे चार्ज़ करने के लिए चर्ज़ेब्ल(विधुत एवम् सौर उर्जा से आवेशित) बैट्री के साथ एक सुष्क सेल (बैट्री) जैसे कैल्कुलेटर मे होती है लगे होने चाहिए इस उपकरण को सरकार सिर्फ भारतीय अशिक्षित और 18 बर्ष से उपर के नागरिक को फ्री मे दे,
9-इस एप को इतना सरल किया जाये की 7 का बच्चा भी आसानी से लें देन कर सके , और 7 साल से कम उम्र के बच्चों को भुगतान का अधिकार ना हो , किओंकी इससे छोटे बच्चे किसी ना किसी के सरक्षण मे रहते है और सरक्षणकर्ता ही भुगतान का अधिकारी हों,
10-इस एप से 1 से 5000 तक का भुगतान बिना किसी स्पेसल पासवर्ड के हो और 5000 से उपर के भुगतान मे स्पेसल ( ट्रॅन्ज़ाक्सेन ) पासवर्ड होना चाहिए,
11-अगर सरकार ऐसा करने में सफल होती है तो भ्रस्टाचार तो पूर्ण रूप से दूर होगा ही , लूट-पाट, चोरी जैसे मामले भी स्वता खतम हो जायेंगे
नोट : जब तक इस देश मे डिज़िटल लेन देन नही होता है तब तक कोई भी योजना और कोई कानून भ्रस्टाचार को नही रोक सकता है, अगर भारत सरकार एक साथ डिज़िटल लेन देन नही कर सकती है तो कम से कम धीरे 2 करके कर सकती है जैसे पहले बड़े शहरों में, फिर छोटे शहरों में, फिर ग्रामों में, इस तरह 4-5 साल मे पूरे देश मे डिज़िटल लेन देन कर देना चाहिए, काम मुस्किल है पर इतना मुस्किल भी नही की किया ना जा सके !