मनुवादी दलाल मीडिया बाले महा नीच है दलितों लड़किओं के बलात्कार नही दिखता !
{अगर पीड़ित बच्चियों के जंतरमंतर पर बैठेने के बाद भी दिल्ली को गुस्सा नहीं आता तो साफ़ है कि दिल्ली का गुस्सा , पीड़ा से नहीं 'पक्ष' से प्रेरित होता है .}
Dinesh Dadsena की दीवार से --"दलित लडकियो के बलात्कार के लिए प्रसिध हो चुके प्रदेश 'हरियाणा' के भगाना गाँव में दलित परिवारों का सामूहिक बहिष्कार किया गया था, काफी दलित लोगो ने पलायन किया इस गाँव से जो परिवार बच गए उन पर दवाब डाला गाया लेकिन जब उन्होंने इंकार कर दिया तो पंचायत के सदस्य के लडको ने २३ मार्च को एक दलित लड़की का उसके घर से बाहर 'नशीला पदार्थ' सूंघकर अपहरण करने की कोशिस की तभी उसको बचाने के लिए तीन और लड़की आती है तो उन्हें भी जबरदस्ती यह पदार्थ सुंघाकर अपहरण कर लिया जाता है और आगे किसी जगह ले जाकर बलात्कार किया जाता है.
पांच लोगो के गिरफ्तार किए जाने के बाद भी अन्य आरोपी के खुलेआम घुमने के कारण इन चारो लडकियो ने नई दिल्ली के 'जन्तर मन्तर' पर दो दिन से धरना पर्दशन कर रही है लेकिन अजीब ही है की;
१.सबसे पहले तो पुरे देश के लिए यह सबसे बड़ी शर्म वाली यह बात होनी चाहिए की चार लडकिया जिनका 'बलात्कार होता है उन्हें इस प्रकार से 'आन्दोलन' करना पड़ रहा है, सिर्फ दलित होने की वजह से देश की जनता इससे मुंह नही फेर सकती है. किसी भी वर्ग चाहे दलित, पिछड़े, सामान्य वर्ग की महिला हो उन्हें जाति के आधार पर नही देखा जाना चाहिए, 'महिला' के आधार पर देखा जाना चाहिए. अगर देश की जनता ऐसा नही करती है तो फिर इस देश में एक नही कई अलग-अलग सोच के 'भारत' है.
२.दो दिन हो गए सभी न्यूज चेन्नल देखते हुए, अखबार पढ़ते हुए लेकिन किसी पर भी इसकी जानकारी नही दी गयी है, फेसबुक के माध्यम से ही इसकी जानकारी मिल पा रही है.
३.नई दिल्ली में पिछले वर्ष एक लड़की के बलात्कार होने पर देश में भूचाल आ जाता है लेकिन उसी माह हरियाणा में १७ दलित लडकियो का बलात्कार होता है उस पर कोई भूचाल नही आता है और इन चार लडकियो का बलात्कार कर दिया जाता है अब भी भूचाल नही आ रहा है.
और सबसे बड़ा सवाल इन वर्ग के लिए आर्क्छित सीट से निर्वाचित होकर आये 124 सांसद के मुंह बंद क्यों है.
१.सबसे पहले तो पुरे देश के लिए यह सबसे बड़ी शर्म वाली यह बात होनी चाहिए की चार लडकिया जिनका 'बलात्कार होता है उन्हें इस प्रकार से 'आन्दोलन' करना पड़ रहा है, सिर्फ दलित होने की वजह से देश की जनता इससे मुंह नही फेर सकती है. किसी भी वर्ग चाहे दलित, पिछड़े, सामान्य वर्ग की महिला हो उन्हें जाति के आधार पर नही देखा जाना चाहिए, 'महिला' के आधार पर देखा जाना चाहिए. अगर देश की जनता ऐसा नही करती है तो फिर इस देश में एक नही कई अलग-अलग सोच के 'भारत' है.
२.दो दिन हो गए सभी न्यूज चेन्नल देखते हुए, अखबार पढ़ते हुए लेकिन किसी पर भी इसकी जानकारी नही दी गयी है, फेसबुक के माध्यम से ही इसकी जानकारी मिल पा रही है.
३.नई दिल्ली में पिछले वर्ष एक लड़की के बलात्कार होने पर देश में भूचाल आ जाता है लेकिन उसी माह हरियाणा में १७ दलित लडकियो का बलात्कार होता है उस पर कोई भूचाल नही आता है और इन चार लडकियो का बलात्कार कर दिया जाता है अब भी भूचाल नही आ रहा है.
और सबसे बड़ा सवाल इन वर्ग के लिए आर्क्छित सीट से निर्वाचित होकर आये 124 सांसद के मुंह बंद क्यों है.
- Akhilesh Tiwari Ravish kumar fans (NDTV) सर, ये सत्य है की आज़ादी के दशकों बाद भी हमारे देश में दो भारत बसता है एक अमीरों पूंजीपतियों और समृद्ध लोगो का भारत दूसरा गरीब ,असहाय और कमज़ोर लोगो का भारत ! आज़ादी के बाद से लेकर अब तक किसी की भी सरकार रही हो किसी ने भी इन लोगो के ज़मीनी विकास के लिए कुछ नहीं किया..
हाँ समय समय पर जाती और मज़हब के नाम पर बाँटने का काम ज़रूर कियाSee Translation - Rakesh Jadly पूर्ण सत्य .....मोमबत्तियां भी तभी जलती हैं जब कष्ट अपने से बड़ी मोमबत्ती को होता है ....टूटी फूटी लालटेनों और दीयों को तो खुद ही संघर्स करना पड़ता हैSee Translation
- Manoj Singh MK buddhi jeeviyon ko abhi bhi delhi police ki zimmedari lagti hai..... mujhe lagta hai Damini case me thoda hi laathicharge karne ki muzrim hai Delhi police.... They should have been thrashed that time ..... Qki unka intention ganda thha....varna aaj bhi aisa ho raha hota....
- Narendra Singh Panwar योगेन्द्र यादव और केजरीवाल सहित पूरी आम आदमी पार्टी इन खांप पंचायतो का समर्थन कति है। शेम ओन कजरी & गैंगSee Translation